वाशिंगटन। अंतरिक्ष में सूरज और चंद्रमा के बाद धरती से सबसे बड़ी नजर आने वाली संरचना इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (आईएसएस) पिछले हफ्ते एक रूसी मॉड्यूल के जुड़ने के बाद हुई तकनीकी गड़बड़ी से लगभग चकरी बन गया। इसने 540 डिग्री का चक्कर लगाया।
नई जानकारियां सामने आने के बाद इसे आईएसएस के इतिहास का दुर्लभ स्पेसक्राफ्ट इमरजेंसी का मामला माना जा रहा है। रूस के मल्टीपर्पज लैब मॉड्यूल नेउका कई वर्षों की देरी के बाद 21 जुलाई को कजाकिस्तान से प्रक्षेपित हुआ और 29 जुलाई को आईएसएस से जोड़ा गया।
विशेषज्ञों के अनुसार नेउका के जेट थ्रस्टर्स चालू रहने की वजह से डॉकिंग के करीब 3 घंटे बाद पूरा आईएसएस अपनी जगह से गोल घूमने लगा। यह अपने पथ से भी भटका। नासा ने पहले बताया था कि यह अपने पथ से करीब 45 डिग्री बाहर गया, लेकिन इस घटना से आईएसएस या इसमें मौजूद क्रू मेंबर्स खतरे में नहीं थे।
अब सामने आया पूरा मामला
नासा के फ्लाइट डायरेक्टर और मिशन कंट्रोल प्रमुख जुबलॉन स्कोविल के अनुसार आईएसएस अपने पथ से कहीं ज्यादा विमुख हुआ। उन्होंने दावा किया, गोल घूमते हुए यह अपनी मूल पोजीशन से 540 डिग्री यानी करीब डेढ़ चक्कर लगा चुका था। इसे अपनी मूल अवस्था में लौटाने के लिए उल्टा चक्कर लगाना पड़ा।
स्कोविल के अनुसार इस घटना की वजह से उन्होंने अपने जीवन में पहली बार स्पेसक्राफ्ट इमरजेंसी घोषित की।
स्कोविल के खुलासे के बाद नासा ने भी उनके बयान की पुष्टि की है। हालांकि यह भी कहा कि आईएसएस का यह चक्कर धीमी प्रक्रिया थी, इसकी रफ्तार 0.56 डिग्री प्रति सेकंड थी। इसमें मौजूद अंतरिक्ष यात्रियों या स्टेशन पर मौजूद लैब को इसका नुकसान नहीं हुआ। घटना के बाद नासा ने बोइंग के मानव रहित सीएसटी हंड्रेड स्टारलाइनर कैप्सूल की परीक्षण उड़ान 3 अगस्त तक के लिए टाल दी है।
15 मिनट लगे नियंत्रण पाने में
आईएसएस को धकेल रहे नेउका के जेट थ्रस्टर्स को बंद करने में करीब 15 मिनट लगे। धरती से करीब 250 किलोमीटर की ऊंचाई पर स्थापित आईएसएस को उसकी निर्धारित ऊंचाई बनाए रखने के लिए नासा के स्पेस स्टेशन प्रोग्राम मैनेजर जॉएल मोंटलबानो के अनुसार करीब 45 मिनट लगे। अभी यह पता नहीं चल पाया है कि थ्रस्टर्स अपने आप क्यों चलने लगे थे? इस घटना ने आईएसएस के लिए मौजूद खतरों को एक बार फिर सामने ला दिया है।