उग्र राष्ट्रवाद हमारे देश के समृद्धि और गौरव के खिलाफ : उच्च न्यायालय

चेन्नई । मद्रास उच्च न्यायालय ने राष्ट्रवाद को लेकर कड़ी टिप्पणी की है। हाईकोर्ट ने कहा है कि उग्र राष्ट्रवाद हमारे देश के समृद्धि और गौरव के खिलाफ हैं और इससे हमें बचना चाहिए। हाई कोर्ट ने ये बातें अशोक चक्र के साथ तिरंगे की डिजाइन वाले केक कटाने के मामले पर फैसला सुनाते हुए कही। हाई कोर्ट ने कहा कि ये तिरंगे का अपमान नहीं है। इसके अलावा कोर्ट ने कहा है कि ये देशभक्ति के खिलाफ भी नहीं है। हाईकोर्ट ने इसे राष्ट्रीय सम्मान अधिनियम 1971 का उल्लंघन मानने से भी इनकार कर दिया।
न्यायमूर्ति एन आनंद वेंकटेश की सिंगल जज की पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा कि देशभक्ति किसी फिजिकल काम से निर्धारित नहीं होती है और ऐसे मामलों में ये देखना चाहिए कि कोई ऐसा कर रहा है तो इसके पीछे उसकी मंशा क्या है। जज ने कहा, इसमें कोई संदेह नहीं है कि भारत जैसे लोकतंत्र में राष्ट्रवाद बहुत महत्वपूर्ण है। लेकिन उग्र राष्ट्रवाद हमारे देश के समृद्धि और गौरव के खिलाफ है।
देशभक्ती की असली परिभाषा
हाईकोर्ट ने आगे कहा, देशभक्त वो नहीं है जो सिर्फ झंडा उठाता है, या फिर झंडों का प्रतीक अपने हाथों पर लगाता है। बल्कि वो भी एक देशभक्त है जो अच्छे शासन के लिए आवाजें उठाता है। राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक देशभक्ति का पर्याय नहीं है, ठीक उसी तरह जैसे केक काटना राष्ट्रवाद का अपमान नहीं है।
रविंद्र नाथ टैगोर का किया ज़िक्र
न्यायमूर्ति एन आनंद वेंकटेश ने राष्ट्रवाद की परिभाषा समझाते हुए रविंद्र नाथ टैगोर की कुछ लाइनों को भी दोहराया- देशभक्ति हमारा अंतिम आध्यात्मिक आश्रय नहीं हो सकती। मेरी शरण मानवता है, मैं हीरे की कीमत में ग्लास नहीं खरीदूंगा, और जब तक मैं जीवित रहूंगा, देशभक्ति को मानवता पर विजय प्राप्त करने की अनुमति नहीं दूंगा।
क्या है पूरा मामला?
साल 2013 की 25 दिसंबर (क्रिसमस डे) के दिन तमिलनाडु के कोंयबटूर में अशोक चक्र के साथ तिरंग की डिजाइन वाले लगभग 6*5 फीट का केक काटा गया था। इस आयोजन में यहां के जिला कलेक्टर, डिप्टी पुलिस कमिश्नर समेत कई धार्मिक नेता, सामाजिक कार्यकर्ता मौजूद थे। इस आयोजन की फोटो वायरल होने के बाद यह मामला काफी चर्चा में आया था। इस मामले को लेकर डी सेंथीकुमार नाम के शख्स ने मद्रास हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। इसे राष्ट्रीय सम्मान अधिनियम 1971 कानून का उल्लंघन बताया था।

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