पापुनि का नया कारनामा : बिना किसी काम ब्लैकलिस्टेड प्रकाशक को 8 करोड़ का भुगतान…

महालेखाकार के ऑडिट के बाद हुआ खुलासा, पापुनि में मचा हड़कंप
ब्लैकलिस्टेड कंपनी को बिना काम भुगतान, अब मांग रहे कार्य की जानकारी
रायपुर।
विवादों में घिरे पाठ्य पुस्तक निगम का एक और नया कारनामा सामने आया है। इस बाद मामला जरा हटके है, जहां प्रकाश से भुगतान के बाद पूछा जा रहा है कि भुगतान किस लिए किया गया था।
दरअसल पापुनि ने मेसर्स रामराजा प्रिंटर्स एंड पब्लिशर्स रावांभाठा, रायपुर को पहले तो 8 करोड़ 20 लाख 4 हजार 401 रुपए की राशि का भुगतान कर दिया। बाद में ऑडिट में जब यह पता नहीं चला कि किस काम के लिए राशि का भुगतान किया गया, तब प्रकाशक को ही चिट्ठी लिखकर कार्यादेश की जानकारी मांगी गई है। संबंधित प्रकाशक को चिट्ठी लिखकर पूछा गया है कि आपके भारतीय स्टेट बैंक के खाता क्रमांक में 2 जनवरी 2020 को 8 करोड़ 20 लाख रुपए का भुगतान किया गया है। वह किस कार्य का है? हैरान करने वाली बात यह है कि राजाराम प्रिंटर्स पहले से ब्लैक लिस्टेड है, तो उसको बिना काम कराए रकम कैसे मिल गई।
ज्ञातव्य है कि ब्लैक लिस्टेड प्रकाशकों ने राहत के लिए उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी। लेकिन अंतरिम राहत आवेदन को ख़ारिज करते हुए उच्च न्यायलय ने आगामी सुनवाई 5 अप्रैल को रखी है। 24 मार्च को सरकारी प्रेस का नया टेंडर निकलने वाला है। ब्लैकलिस्टेड प्रकाशक इस कोशिश में लगे है कि टेंडर की तारीख आगे बढ़ जाए और उच्च न्यायालय की आगामी सुनवाई के बाद यह टेंडर खुले।
पाठ्यपुस्तक निगम ने संबंधित प्रकाशक से अब न सिर्फ इस कार्यादेश की जानकारी मांगी है, बल्कि मुद्रित सामग्री और उसके परिवहन का भी डिटेल मांगा गया है। साथ ही इस काम के लिए पाठ्यपुस्तक निगम के साथ की गई अनुबंध की प्रति भी उपलब्ध कराने कहा गया है। इतना ही नहीं, प्रकाशक को बिल, वाउचर, सामग्री प्रदान की पावती और चालान की प्रति भी मांगी गई है। काम प्रकाशक को कैसे मिला इसके संबंध में भी जवाब मांगा गया है। इसके लिए संबंधित प्रकाशक को हाल ही में पापुनि ने चिट्ठी लिखी है। इस चिट्ठी ने एक बार फिर पापुनि में वित्तीय अनियमितता की परतें खोल दी है। दरअसल पापुनि के जिम्मेदारों को आशंका है कि बगैर किसी काम के ही संबंधित प्रकाशक को 8 करोड़ 20 लाख की राशि का भुगतान कर दिया गया है। यही वजह है कि पापुनि के चेयरमेन शैलेश नितिन त्रिवेदी ने इसे गंभीरता से लिया है। साथ ही प्रकाशक से जानकारी मांगने और जांच के निर्देश भी दिए हैं।
पापुनि अध्यक्ष त्रिवेदी के मुताबिक कई अफसर इस फर्जीवाड़े में शामिल हैं। शैलेश त्रिवेदी के मुताबिक जब राजाराम प्रिंटर्स से न कोई खरीदी हुई, न कोई काम हुआ, तो कैसे 8 करोड़ 20 लाख रुपये की राशि बांट दी गई। उन्होंने कहा कि ये मामले का खुलासा ऑडिट के वक्त हुआ है।
00 महालेखाकार के आडिट में खुलासा
पापुनि में बगैर पर्याप्त दस्तावेज प्रकाशक को करोड़ों रुपए भुगतान का खुलासा महालेखाकार की रिपोर्ट से हुआ है। लेखा परीक्षण दल ने अप्रैल 2015 से जनवरी 2021 तक लेखों का ऑडिट किया। इसी दौरान गड़बड़ी सामने आई। राशि भुगतान के दस्तावेजों का पता लगाने की कोशिश भी की गई, लेकिन ऐसे कोई दस्तावेज नहीं मिले, जिससे यह पता चलता हो कि किस कार्य के लिए राशि दी गई। जाहिर है यह बड़ी गड़बड़ी और भ्रष्टाचार की ओर संकेत करता है।
हैरानी की बात यह भी है कि प्रकाशक को राशि का भुगतान करने के लिए इंडसइंड बैंक में खाता खोल लिया गया। इसी बैंक के चेक क्रमांक 697261 से 2 जनवरी 2020 को 8 करोड़ 20 लाख रुपए की राशि आरटीजीएस के माध्यम से एसबीआई के खाता क्रमांक 1097140044 में मेसर्स रामराजा प्रिंटर्स एंड पब्लिशर्स को भुगतान की गई। जबकि बैंक में नया खाता खोलने के लिए किसी भी प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया। इसीलिए इसे महालेखाकार ने गंभीर माना है।
पापुनि छत्तीसगढ़ पाठ्यपुस्तक निगम के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा कि पाठ्यपुस्तक निगम के पूर्व कार्यकाल में कई बड़ी अनियमितता उजागर हो रही है। हमने गंभीर वित्तीय अनियमितताओं के निकारण के लिए अभियान प्रारंभ किया है। 8 करोड़ के राशि भुगतान मामले में भी आवश्यक जानकारी मांगी गई है। जांच के बाद जो भी तथ्य सामने आएंगे, उसके मुताबिक कार्यवाही करेंगे।

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