चौथी औद्योगिक क्रांति के लिए युवाओं के कौशल और प्रशिक्षण पर ध्यान केन्द्रित करना होगा : उपराष्ट्रपति

नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने आर्थिक रूप से मजबूत भारत के निर्माण के लिए गरीबी, भ्रष्टाचार और अन्य सामाजिक बुराइयों जैसे लैंगिक भेदभाव के उन्मूलन की दिशा में समन्वित प्रयास करने का आह्वान किया है। उन्होंने कहा कि ऐसा करना ही हमारे स्वतंत्रता सेनानियों के लिए एक सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
श्री नायडू ने भारत की आजादी के 75 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा ‘आजादी का अमृत महोत्सव- 75 सप्ताह की अवधि वाला महोत्सव’ के लांच के मौके पर अपने फेसबुक पोस्ट में कहा कि यह हमारी राष्ट्रीय यात्रा में एक निर्णायक क्षण था और महात्मा गांधी तथा अनेक असंख्या स्वतंत्रता सेनानियों द्वारा हमें सौंपी गई विरासत को याद करने का एक अवसर है। उन्होंने कहा कि हमारे स्वतंत्रता सेनानियों, उनके सर्वोच्च बलिदानों और मजबूत आदर्शों की असाधारण भावना को हमेशा याद करना हमारा पावन कर्तव्य है। श्री नायडू ने साबरमती से दांडी तक आज शुरू की गई 25 दिवसीय पदयात्रा का जिक्र करते हुए कहा कि उस समय महात्मा गांधी ने ऐतिहासिक नमक यात्रा की थी और यह भारत की काफी संघर्ष के बाद हासिल की गई आजादी को मनाने का जश्न है। यह पदयात्रा हमें अतीत से प्रेरणा लेने और एकसाथ मिलकर वर्तमान एवं आने वाली चुनौतियों का पूरी दृढ़ता, साहस और विश्वास से मुकाबला करने की प्रेरणा देती है। श्री नायडू ने महान दांडी यात्रा का जिक्र करते हुए कहा कि उस समय साधारण समझे जाने वाले लेकिन एक शक्तिशाली प्रतीक ‘नमक’ ने पूरे देश में लोगों के अंदर स्फूर्ति पैदा कर दी थी। उस समय गांधी जी ने अहिंसा और अपनी मजबूत इच्छा शक्ति के चलते अटूट प्रतिबद्धता से यह कार्य किया और ब्रिटिश साम्राज्य तथा पूरे विश्व को यह दिखा दिया कि भारत अब दमनकारी ताकतों के आगे नहीं झुकेगा। श्री नायडू ने देश के युवाओं को अपने महान नायकों के बारे में शिक्षित किये जाने की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि किस तरह हमारे राष्ट्र के हजारों साहसी पुरूषों और महिलाओं ने आगे बढ़कर स्वाधीनता संघर्ष में हिस्सा लिया और देश से साम्राज्यवादी शासन को उखाड़ फैंकने में मदद की। उपराष्ट्रपति ने कहा कि जब हम अपनी स्वतंत्रता के फल का आनंद लेते हैं, तो हमें यह भी ध्यान में रखना चाहिए कि स्वतंत्रता का यह दृष्टिकोण पूरे तौर से तभी साकार होता है, जब हम संविधान में निर्धारित अपने सभी उद्देश्यों और वायदों को हासिल करते हैं। उन्होंने यह सलाह दी कि हमारी आजादी से अब तक की यात्रा का मूल्यांकन किया जाए और विकास के नये मोर्चों पर भी लक्ष्य केन्द्रित किया जाए। श्री नायडू ने यह सलाह भी दी कि भारत को और अधिक समृद्ध और मजबूत बनाने के लिए देश के लोगों खासकर युवाओं के लिए स्वस्थ जीवन शैली को अपनाना बहुत ही आवश्यक है। उन्होंने कहा कि हमें अपनी सभ्यता की जड़ों तक वापस जाना चाहिए, सार्वभौमिक मूल्यों को बनाया रखना चाहिए और पर्यावरण के लिहाज से जागरूक बनकर हमेशा प्रकृति के साथ तारतम्य स्थापित कर रहना चाहिए। भावी पीढि़यों को एक हरित और स्वस्थ पृथ्वी सौंपना हमारा कर्तव्य है।

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