रायपुर। छत्तीसगढ राज्य अनुसूचित जनजाति आयोग द्वारा आगामी 24 जनवरी को राजधानी में प्रदेश स्तरीय सामाजिक सम्मिलन का आयोजन सुबह 10 बजे गोंडवाना भवन, टिकरापारा रायपुर में किया जा रहा है। सम्मिलन में प्रदेशभर के आदिवासी समाज के प्रतिनिधि सामाजिक मुददों व समस्याओं पर चर्चा कर विचार विमर्श करेंगे। प्रेसक्लब में आयोजित प्रेसवार्ता में जनजाति आयोग के उपाध्यक्ष राजकुमारी दीवान व सदस्य नितिन पोटाई ने कहा, 15 सालों में भाजपा की सरकार ने आदिवासियों की समस्याओं को निराकरण नहीं किया। इस लिए आदिवासियों की समस्याएं हर गांव से आयोग तक पहुंच रही है। आयोग के सदस्यों की टीम अलग-अलग जिलों में दौरा करने पर विस्थापन, मुआवजा व भूमिग्रहण सहित धर्म परिवर्तन, अंतर जाति विवाह, शासन की योजनाओं को लेकर सैकड़ों की संख्या में शिकायतों व आवेदन प्राप्त हो रहे हैं। आयोग के पास आने वाले शिकायतों का निराकरण करने 17 बिंदुओं पर आधारित सामाजिक स्तर की सम्मिलन का आयोजन किया जा रहा है। उपाध्यक्ष राजकुमारी दीवान ने कहा, जनजाति समाज के सभी जातिगढ रुढी, परम्परा, रीति-रिवाज व्यवस्थाओं पर परिचर्चा किया जाएगा। जन्म विवाह, मृत्यु संस्कार पर फिजुल खर्ची पर रोक लगाने पर चर्चा किया जाएगा। समाज में शिक्षा पर जोर देने कन्या शिक्षा को प्रमुखता दिया जाएगा। आदिवासियों के जमिनों पर कब्जों व मुआवजा के प्रकरणों को लेकर भी समाधान कारक व्यवस्था बनाने को लेकर सरकार को सुझाव दिया जाएगा। सामाजिक स्तर पर होने वाले दंड की प्रक्रिया को न्याय संगत बनाने तानाशाही रवैये पर सुधार पर विचार होगा। आदिवासियों की बोली व भाषा के संरक्षण के साथ उनकी संस्कृति पर आधारित गतिविधियों को शासन स्तर पर संरक्षित रखने के उपायों पर चर्चा किया जाएगा। जातिगत सर्वे जनगणना में जनजाति वर्ग के रहन सहन, खान पान, रिती रिवाजों, परम्परा का भी उल्लेख होना चाहिए। फर्जी जाति प्रमाण पत्र के शिकायतों पर छानबीन समिति को केबिएट दायर करने का प्रस्ताव भी रखा जाएगा।पेशा एक्ट के कानूनों का पालन और 2013 के बाद से पुनर्वास व्यवस्थापन नियमों का पालन अनिवार्य रुप से लागू किया जाना चाहिए। आयोग के सदस्य नितिन पोटाई ने कहा, प्रदेश में आदिवासी समाज के जमीनों का अधिग्रहण के सबसे अधिक मामले कोरबा, रायगढ, बलौदाबाजार व जांजगीर जिलों में शिकायतें मिली है। आदिवासियों के व्यवसाय स्थापना के लिए बैंकों द्वारा नकारात्मक रवैये से सरकार के योजनाओं से वंचित होना पड़ रहा है। पुलिस प्रशासन द्वारा भोले भाले आदिवासियों पर जुल्म जाति कर प्रताड़ना की घटना भी मिडिया के माध्यम से जानकारी मिलती है। ऐसे मामलों में आयोग हस्तक्षेप कर पीड़ित पक्ष को न्याय दिलाने पहल करती है। वहीं जिला स्तर पर आदिवासियों को अपनी शिकायतों के संबंध में सहायक आयुक्त आदिमजाति कल्याण विभाग को आवेदन लेने की व्यवस्था की किया जाएगा। जिससे आदिवासियों को दूरदराज के जिलों से राजधानी में आने व भटकने की जरुरत नहीं होगी।