रायपुर में फिर सामने आई राजस्व विभाग के अधिकारियों की मनमानियां

स्थगन के बाद भी कोटवारी भूमि की बिक्री का जारी कर दिया आदेश
हाई कोर्ट के आदेश की उड़ा रहे धज्जियां
रायपुर।
राजस्व विभाग के अधिकारियों की मनमानियां बढ़ती जा रही है। अब तो वे उच्च न्यायलय के आदेशों का उल्लंघन करने से भी नहीं कतरा रहे है। प्राप्त जानकारी के अनुसार मामला धरसींवा क्षेत्र का है, जहां कोटवारी भूमि की बिक्री की अनुमति विभाग के अधिकारियों ने दे दी है। ठीक इसी प्रकार का मामला राजधानी के अमलीडीह में उजागर हुआ था, जहां रामा ग्रीन्स प्रोजेक्ट में शासकीय कोटवारी हक की भूमि को राजीव अग्रवाल ने प्रोजेक्ट की भूमि बताकर ले-आउट स्वीकृत करवा लिया था। हाईकोर्ट की रोक के बाद हरकत में आए विभाग को इस करतूत की जानकारी हुई। इस संबंध में नगर तथा ग्राम निवेश विभाग के संयुक्त संचालक संदीप बागड़े ने मेसर्स रामा ग्रीन्स के भागीदार और उनके ऑर्किटेक्ट को 5 अक्टूबर 2020 को एक पत्र लिखकर स्पष्टीकरण मांगा था, बागड़े ने पत्र में राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग के 2014 में जारी आदेश का उल्लेख किया। संयुक्त संचालक के पत्र की पुष्टि राजस्व विभाग के अधिकार अभिलेख से हुई थी, जिसमें संबंधित भूमि कोटवारी भूमि दर्ज है। इसी आधार पर शिकायतकर्ता ने शासन द्वारा जारी विकास अनुज्ञा रद्द करने की मांग की थी।
अब धरसींवा में ठीक उसी प्रकार का प्रकरण सामने आया है। ज्ञातव्य है कि 31 नवंबर 2018 को हाई कोर्ट की डबल बेंच ने किसी भी प्रकार की कोटवारी भूमि की बिक्री पर रोक लगा दी है। लेकिन इस आदेश की अवहलेना करते हुए अपर कलेक्टर पद्मनी भोई ने अगस्त 2020 में एक भूमि को बेचने का आदेश दे दिया। और गौर करने वाली बात यह है कि उक्त भूमि रिकॉर्ड में अहस्तांतरणीय दर्ज है।
यह पूरा मामला आरंग के ग्राम कोटनी का है। धरसींवा तहसील के ग्राम कोटनी के पटवारी नंबर 438 में रकबा कुल 1.61 हेक्टेयर को बेचने लिए एनआरडीए से वर्ष 2015-16 में अनुमति मांगी गई थी। इस प्रकरण को एसडीएम के पास प्रस्तुत किया गया था, जिसे उन्होंने ख़ारिज कर दिया था। यह भूमि भूषणदास पिता नोहरदास ने नाम दर्ज है। भूमि रिकॉर्ड में खसरा नंबर 438 में 2.41 हेक्टेयर मालगुजार प्राप्त कोटवारी भूमि बताई गई है। इस कोटवारी भूमि की बिक्री का प्रकरण वर्ष 2015 से लंबित था। यहां गौर करने वाली बात यह है कि उच्च न्यायालय की सिंगल बेंच ने कोटवारी भूमि को भूस्वामी हक में दर्ज करने का आदेश दे दिया था। इसके बाद राज्य शासन की अपील पर 31 नवंबर 2018 को उच्च न्यायालय की डबल बेंच ने किसी भी प्रकार की कोटवारी भूमि की बिक्री पर रोक लगाने का आदेश दिया था। इस आदेश की धज्जियां उड़ाते हुए अपर कलेक्टर पद्दामिनी भोई ने अगस्त 2020 को उक्त भूमि भूषणदास पनिका के आवेदन पर रोहणीपुरम निवासी आशीष चंद्रवंशी समेत अन्य दो के नाम पर बेचने का आदेश दे दिया। चौकाने वाली बात यह है कि उक्त भूमि रेकॉर्ड में अहस्तांतरणीय दर्ज है।
कोटवार पर होनी थी करवाई, दे दिया नियम विरूद्ध आदेश
कोटवार सेवा भूमि अहस्तांतरण होने के बाद भी कोटवार ने 2010-11 में भूमि का 0.80 हेक्टेयर को दानेश्वरी देवांगन को बेच दी थी। इसके बाद फिर 2015 में 1.61 हेक्टेयर बेचने के लिए आवेदन किया गया था। मामला लंबित होने के बाद अब पांच साल बाद आर्डर जारी कर दिया गया। जबकि नियम विरूद्ध आवेदन करने व बेचने के मामले में कोटवार पर कर्रवाई का प्रावधान है। अब देखना यह है कि प्रशासन इस मामले में क्या कदम उठाता है।

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