नये आयोग के गठन का कोई औचित्य नहीं है – अली अनवर अंसारी

रायपुर। रंगनाथ मिश्र आयोग, सच्चर कमेटी, अल्पसंख्यक आयोग द्वारा दलित मुसलमानों, दलित ईसाइयों को शेड्यूल्ड कास्ट का दर्जा देने की स्पष्ट सिफारिश के बाद मोदी जी की सरकार द्वारा इस मामले की फिर से जांच करने के लिए एक आयोग के गठन की घोषणा के पीछे मामले को टालने और इसे नहीं होने देना है।
आॅल इंडिया पसमांदा मुस्लिम समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष तथा राज्यसभा के दो बार सांसद रहे अली अनवर अंसारी ने यह बात रायपुर में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस मेंकहीं। अनवर ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में यह मामला पिछले 18 साल से लंबित है। 11 अक्टूबर यानी कल से ही मुख्य न्यायाधीश यूयू ललित की अध्यक्षता में इस याचिका पर सुनवाई होनी थी। जल्द ही इस पर फैसला आने वाला था। ठीक इसी समय केंद्र सरकार द्वारा इस मामले में एक नये आयोग के गठन का कोई औचित्य नहीं है। इस आयोग की रिपोर्ट भी दो साल बाद आनी है। यानि 2024 के चुनाव के बाद।
अनवर ने कहा कि भारत के दलित मुसलमान और दलित ईसाई धर्म के आधार पर कुछ नहीं मांग रहे हैं। उनके साथ धर्म के आधार पर आरक्षण के मामले में जो भेदभाव हो रहा है उसे खत्म करने की मांग कर रहे हैं। रंगनाथ मिश्र आयोग ने अपनी सिफारिश में साफ कहा है कि दलित मुसलमान और दलित ईसाइयों के साथ धर्म के आधार पर भेदभाव हो रहा है। इसे फौरन समाप्त किया जाना चाहिए। इस आयोग ने यह भी कहा है कि इसके लिए किसी तरह के संविधान संशोधन की जरूरत नहीं है। कार्यपालिका के एक आदेश से ऐसा किया जा सकता है।
मालूम हो कि 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने मोदी जी की सरकार का इस सिफारिश के संबंध में रुख जानना चाहा था। इसके जवाब में सरकार ने यह साफ कह दिया था कि वह इस सिफारिश को नहीं मानेगी। इस बीच प्रधानमंत्री जी और भाजपा ने पसमांदा मुसलमानों से स्नेह जताने की बात कर दी। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से उसका ताजा स्टैंड जानने हेतु नोटिस दिया। इसी बीच सुनवाई शुरू होने से 5 दिन पहले सरकार ने एक बार फिर नया आयोग गठन कर सुनवाई – दर- सुनवाई आयोग- दर-आयोग वाली कहावत चरितार्थ कर दी है।

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